एक बहुत बड़ा और विशाल पेड़ था। उसकी शाखाएं दूर तक फैली हुई थी और ऐसा लगता था जैसे आसमान को छू रही हों। उस पेड़ में बहुत स्वादिष्ट और मीठे मीठे फल लगते थे। पंछी और जानवर इन मीठे फल को खा कर बहुत आनंदित होते थे और पेड़ की घनी छांव में आराम करते थे। ऐसा पेड़ शायद दुनिया में अकेला था। पेड़ अपनी पूरी गरिमा और शान के साथ अपनी बाहें फैलाए जो भी उसकी छांव में आराम करने आता वह उनका स्वागत करता था।
एक बच्चा रोज उस पेड़ के साथ खेलने आता था। वह पेड़ की छांव में खेलता, उसके फल तोड़ कर खाता और उसकी डालियों पर झूलता था। प्रेम बाँट कर बहुत खुश होता है, प्रेम लुट जाना चाहता है। रोज आने के कारण पेड़ को बच्चे से लगाव हो गया था। पेड़ अब तो उस बच्चे के आने का इंतजार करता था कि कब वो आए और वह उसे अपना फल खिलाए और वो उसको खुश देख कर बहुत ज्यादा खुश होता था। अगर किसी दिन बच्चा नहीं आता था तो वह बहुत उदास होता था